रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार | प्रातः वंदन @ 9.00 AM |
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राजस्थान की राजधानी जयपुर में हनुमान जी के कई मंदिर हैं। लेकिन खोले के हनुमान जी मंदिर की अपनी एक अलग ही पहचान है। यहां श्रद्धालुओं के अलावा देशी-विदेशी पर्यटक भी प्रकृति की मनोरम छटा को निहारने के लिए दूर-दूर से आते है।
अद्भुत है मंदिर का इतिहास60 के दशक में शहर की पूर्वी पहाड़ियों की खोह में बहते बरसाती नाले और पहाड़ों के बीच निर्जन स्थान में जंगली जानवरों के डर से शहरवासी यहां का रूख भी नहीं कर पाते थे तब एक साहसी ब्राह्मण ने इस निर्जन स्थान का रूख किया और यहां पहाड़ पर लेटे हुए हनुमानजी की विशाल मूर्ति खोज निकाली। इस निर्जन जंगल में भगवान को देख ब्राह्मण ने यही पर मारूती नंदन श्री हनुमान जी की सेवा पूजा करनी शुरू कर दी और प्राणान्त होने तक उन्होंने वह जगह नहीं छोड़ी। खोले के हनुमानजी के वे परमभक्त ब्राह्मण थे पंडित राधेलाल चौबे जी। चौबे जी के जीवनभर की अथक मेहनत का ही नतीजा है कि यह निर्जन स्थान आज सुरम्य दर्शनीय स्थल बन गया । 1961 में पंडित राधेलाल चौबे ने मंदिर के विकास के लिए नरवर आश्रम सेवा समिति की स्थापना की। जब यह स्थान निर्जन था तब पहाड़ों की खोह से यहां बरसात का पानी खोले के रूप बहता था। इसीलिए मंदिर का नाम खोले के हनुमानजी पड़ा।
स्रोत्र: राजस्थान पत्रिका